Friday, March 29, 2013

आतंकी या राष्ट्रीय मेहमान ?


एक आतंकी की गिरफ्तारी पर इतना हाय हल्ला हो रहा है कि मानो भारत रत्न प्राप्त के किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया गया हो। क्या आप जानते है कि लियाकत नाम का यह आतंकी देश में कितनी ही आतंकी वारदातों का दोषी है। लियाकत की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली पहुंच चुके है। उन्होंने गृहमंत्री से मुलाकात कर अपनी नाराजगी भी जता दी है। दोस्तों मैं केवल आप से इतना पूछना चाहता हुं कि क्या हमें लियाकत की गिरफ्तार पर इतना परेशान होने की जरूरत है ?

Tuesday, March 19, 2013

विदेशी बैंको से निकले देसी पैसा


प्रदीप उपाध्याय
   देश के पास पैसा नहीं है क्योंकि हमारे देश का सारा पैसा तो विदेशी बैंको में जमा है। हमारे माननीय मंत्री जी कह रहे है कि हमारे पास चीन के मुकाबले ज्यादा पैसे हैं। मंत्री जी क्या आप ये भी बताने का कष्ट करेंगे कि ये स्थिति क्यों आई है। आप तो इसके लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था को जिम्मेदार कहेंगे। लेकिन इसकी असली वजह तो ये है कि हमारे नेताओं में भ्रष्ट्राचार करने की होड़ लगी हुई है। इसके चलते हर नेता भ्रष्ट्राचार करने में अपने को आगे रखने की कोशिशों में लगा है। नेता जी के इस नए शौक के चलते देश का सारा पैसा तो उनकी तिजोरी जो विदेशों में है में रखा है। यदि आप मेरी बात से सहमत नहीं है तो आप देश को बताए कि राष्ट्रमंडल खेलों में देश की प्रतिष्ठा को ताक पर रख कर धांधली करने वाले सुरेश कलमाड़ी और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपी ए राजा को संसद में दोबारा जगह कैसे मिली। चलिए जगह तक तो ठीक है पर हमारी सरकार उन व्यक्तिों को संसदीय स्थायी समितियों का सदस्य बना कर क्या कराने की सोच रही है।
  यदि आप देश में पैसा की कमी पूरा करना ही चाहते है तो सोचने की जरूरत नहीं है। आप को सिर्फ इतना करना है कि जितने भी भ्रष्ट्रचार के दोषी है उनसे पूरे पैसे की वसूली की जाए और यदि ऐसा नहीं किया जा सकता तो उस व्सक्ति पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए व उसकी सारी संपति जप्त की जानी चाहिए। अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि देश में भ्रष्ट्राचार का आरोप तो कभी साबित होता ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में देश की अदालतों को ज्यादा शक्ति देने की जरूरत है। साथ ही हमारी जांच एजेंसियों को सरकार के नियंत्रण से दूर रखा जाना चाहिए।
   लेकिन हम सब जानते है कि हमारे देश में ऐसा केवल सोचा जा सकता है। उसे व्यवहार में नहीं जाया जा सकता। ये हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।

Monday, March 18, 2013

बांग्लादेश में भी खतरे में हिन्दू



प्रदीप उपाध्याय
      बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदूओं पर हो रहे हमलों के विरोध में भाजपा ने मार्च करने का फैसला किया है। भाजपा के त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष सुधीन्द्र दास गुप्ता ने जानकारी दी है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने पिछले कुछ दिनों से हिन्दूओं को निशाना बनाया जा रहा है। जिसके खिलाफ पार्टी ने पांच सूत्री एजेंड़े के साथ ढ़ाका की ओर मार्च निकालने का निर्णय किया है। उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। भाजपा के इस फैसले के बाद त्रिपुरा पुलिस और सीमा सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट घोषित किया गया है।

भारत यात्रा पर पुर्नविचार करे नागरिक : आस्ट्रेलिया

प्रदीप उपाध्याय
 आस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया है। आस्ट्रेलियाई प्रशासन का कहना है कि भारत की यात्रा करना सुरक्षित नहीं है। उनके मुताबिक नई दिल्ली मुंबई और ऐसे ही देश के बड़े शहर घुमने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। यहां आतंकी हमलें तो है ही साथ ही अपराध और नागरिक अंसतोष बहुत अधिक है। आस्ट्रेलियाई विदेश व व्यापार विभाग द्वारा जारी इस एडवाइजरी में अपने नागरिको को भारत यात्रा को टालने या स्थगित करने को कहा गया है और यदि यात्रा को नहीं टाला जा सकता तो नागरिकों को अत्याधिक सावधान रहने को कहा है।
   ये तो बात हुई आस्ट्रेलियाई प्रशासन की ओर से जारी एडवाइजरी की। अब हम बात करते है भारत के रूख की। नागरिक असंतोष की बात कहने वाले आस्ट्रेलियाई प्रशासन को याद नहीं होगा कि उसके देश में भारतीय लोगों को किन-किन मुसिबतों का सामना करना पड़ा था। संकुचित मानसिकता की वजह से कई भारतीय नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था और आज आस्ट्रेलिया भारत में नागरिक असंतोष की बात कह रहा है।

Tuesday, March 12, 2013

हमारी चौकस खुफियां संस्थाएं

प्रदीप उपाध्याय
आज हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियां में सर्तकता और चैकसी की एहमियत शायद कही खो गई है। यही कारण है कि हमारे देश में आतंकी कभी भी और कही भी अपनी ना पाक साजिशों को अंजाम दे रहे हैं। देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद पर हमले, दिल्ली का मस्तक बोले जाने वाले लाल किले और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले की कोई भी पूर्व सूचना नहीं होना हमारी खुफियां एजेंसियों की चैकसी की कहानी कह रहा है। ये शायद काफी नहीं था कि हर साल हैदराबाद में होने वाले ब्लास्टों को भी हमारी एजेंसियां रोक पाने में नाकाम रही है। इस नाकामी का श्रेय केवल इस संस्थाओं ही नहीं बल्कि हमारे देश के कर्णधार नेताओं को भी जाता है। दरअसल हमारी रा् जैसी संस्था भी देश की राजनीति में बुरी तरह फंस गई है कि उसे ये ही नहीं पता चलता की हमारे देश पर कोई आतंकी हमला होने वाला है और उसे कैसे नाकाम किया जा सकता है। यही नहीं रा को कारगिल युद्ध के समय में तत्कालिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेश मुर्शरफ द्वारा एलओसी पार कर 10 किलोमीटर तक भारतीय क्षेत्र में की गई चहल कदमी के बारे में आज तक पता नहीं चल पाया था। यदि हम पाकिस्तानी खुफियां एजेंसी की बात करे तो देखेंगें कि वो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुछ भी करती है।