Saturday, May 25, 2013

चीन और भारत


चीन ने भारत के 19 किलोमीटर अंदर आकर बंकर बना लिये और भारत सरकार को खुब छका कर अपने आप वापस चले गए। यह घटना कोई अचानक होने वाली घटना नहीं है बल्कि चीन ने इसकी योजना पहले से बना रखी थी। यकिन नहीं तो आप जरा पिछले दिनों चीन के द्वारा अलग-अलग देशों के भू-भाग पर अपना दावों पर गौर किजिए। द्वीपों को लेकर जापान के साथ या फिर दक्षिणी सागर में अपना दावा चीन हर जगह अपना दावा पेश कर देता है। भारत को छोड़कर सभी देश चीन के दावो को जोरदार रूप से खंडि़त कर देते है। भारत की विदेश नीति में 1962 की हार का डर आज भी महसूस किया जा सकता है। यही वजह है कि देश की विदेशनीति में दब्बूपन आ गया है।
   आगे बढ़ते है चीन ने पडोसी देशों के साथ बढ़ रहे समुद्री तनाव के मद्देनजर अपना सैन्य तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले दिनों चीन के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने सशस्त्र बलों से लड़ाई की तैयारी मजबूत करने और युद्ध में जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
   सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष फान चांगलोंग ने जिंगासूए फजियान और झेजियांग प्रांतों में सैनिकों से मुलाकात में ये बाते कही।
    आयोग 23 लाख सैनिकों वाली सेना पर नियंत्रण रखने वाला शीर्ष सैन्य निकाय है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं।
    फान ने कहा कि सेना को जीत सुनिश्चित करने के लिए हमेशा ही तैयार रहना चाहिए एवं तीक्ष्ण मारक क्षमता कायम रखनी चाहिए।
    उन्होंने कहा सैन्य अधिकारियों एवं सैनिकों को सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के प्रति निष्ठावान एवं भरोसेमंद रहना चाहिए तथा उसके निर्देशों का पालन करना चाहिए।

Wednesday, May 22, 2013

चीन पर लगाम लगाने का वक्त


चीन ने भारतीय क्षेत्र के 19 किलोमीटर के अंदर आकर बंकर बनाएं और भारत को खुब छकाने के बाद अपनी मर्जी से वापस लौट गए। इसके बाद भारत सरकार ने पूरे मामले को हल किए जाने के लिए खुद की तारिफ की। शायद ये सोचकर कि लोग तो पागल है इन्हे कुछ दिखाई नहीं देता। इसके कुछ दिनों बाद चीन के प्रधानमंत्री भारत आते है और दोनो देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने की बात करते हैं।

इस पूरे मामले यह सिख मिलती है कि हम आज इतने कायर हो गए है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए हम दुसरों की महरबानी की जरूरत है। हमारी सरकार इतनी कायर है कि वह कुछ भी करने से डरती है। मैं अपनी देश की जनता से पूछना चाहता हुं कि क्या भारतीय सेना और भारतीय जन मानस में कायरता भरी हुई है। अरे हमारा देश तो वीरों और वीरागंनाओं की जन्म भुमि है। यहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और चिन्नमा जैसी बहादूर बेटी हुई है और आज हम अपने पूर्वजों के सम्मान को धुल में मिला रहे हैं। आज भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है। लेकिन जब हम अपने लिए कोई फैसला नहीं कर सकते तो ऐसी स्थिति में किसी ओर के लिए हम कैसे उचित फैसला कर सकते है।

अरूणाचल और कई उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को चीन अपना क्षेत्र बताता है। वहीं भारत तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे को भी जायज बताता है। दोनो देशो में अंतर कितना है ये इस बात से ही लगाया जा सकता हैं। अब एक प्रश्न उठता है कि चीन भारतीय क्षेत्रों को अपना बतात है तो क्या हमारी सरकार में इतना दम नहीं कि वह चीन को ये बता सके कि तिब्बत उसका हिस्सा नहीं है।