Friday, January 20, 2012

अपनों की चीखे भूल गए.....

प्रदीप उपाध्याय

हमारे देश में अपनों के लिए हमदर्दी हो हो लेकिन एक बांग्लादेशी के लिए उसे इतने बेचनी है की हमारे नेता सो नहीं पाते। हालही में एक घटना ने इसको सही साबित किया है। हमारे देश में सीमा पर तेनात बीएसएफ के जवानों को इसलिए निलंबित कर दिया है क्योकि उन्होंने घुसपैठ की कोशिश और गायों की तस्करी कर रहे एक बांग्लादेशी को पकड़ा था

बांग्लादेशी मीडिया ने इस बात को खूब उछाला और हमारे जवानों को खलनायक के रूप में खड़ा कर दिया और उस तस्कर को बेचारा बना कर सब की सहानभूति दिलाने की कोशिश की

मुझे दुःख इस बात का नहीं है कि उस तस्कर को बेचारा बना कर सब की सहानभूति दिलाने की कोशिशें की जा रही है। मुझे दुःख इस बात का है कि हमारे आलाधिकारियों ने अपने ही लोगो को मुलजिम बना कर खड़ा कर दिया।

एक बात और मै अपने देश कि मीडिया से पूछना चाहता हु कि क्या अपने कभी सोचा है पूरी दुनिया मे भारत ही ऐसा देश होगा जहा लोग अपनों का गला इसलिए कट देते है क्योकि उनकी नाक नीचे हो जाये चाहे इसमें उसकी गलती हो हो।

वही बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने भारत से इस घटना की जांच करा कर दोषियों को सजा देने की मांग की है। लेकिन आप को याद होगा कि १९९९ मे बांग्लादेश मे हमारे जवानों की बेरहमी से की गई हत्याएं कर दी थी उस समय तो हमारे देश के नेताओं को और नहीं ही बांग्लादेश के किसी मंत्री को दोषियों को सजा दिने के बारे मे नहीं सुझा।

अगर आप के पास जबाब है तो मुझे जरुर बताये.......

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