Thursday, April 21, 2022

धर्म और लोक कल्याण के लिए समर्पित था गुरु तेग बहादुर का संपूर्ण जीवन

भारत एक लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष देश है। यहां पर सभी को अपने धर्म का मानने की पूरी आज़ादी है। आज़ादी के लिए लड़ाई और धर्म के नाम पर बंटवारे के बावजूद भारत ने खुद को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाया।

भारत की एक समृद्ध सांस्कृति और इतिहास रहा है। यहां अनेकों ऐसे महात्मा और बलिदानी हुए हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर अपने धर्म व मानवता की रक्षा की। ऐसे ही एक महा बलिदानी हैं गुरु तेग बहादुर जी। 

 उस समय हिन्दुस्तान पर मुगलों का राज था। इस्लाम के नाम पर कट्टपंथी अपने चरम पर थे। मुगल शासक औरंगज़ेब के संरक्षण में दिल्ली समेत देशभर में कट्टरपंथी अपनी मनमानी कर रहे थे। वो किसी भी कीमत पर इस्लाम का प्रचार व प्रसार करना चाहता था। इसके लिए उन्होंने लोभ व भय दिखाकर न जाने कितने ही लोगों को इस्लाम कबूल कराया और जिन्होंने इस्लाम कबूल नहीं किया उन्हें मौत के घाट उतरवा दिया।


ऐसे में धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वालों में सिख गुरुओं का नाम सबसे आगे लिया जाता है। औरंगज़ेब द्वारा सिखों के नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी को इस्लाम कबूल करने की यातनाएं दी गईं। इसके बावजूद वो धर्म के मार्ग पर डटे रहे और धर्म रक्षा के लिए उन्होंने मुस्कान के साथ अपने प्राणों की आहुति दे दी।


गुरु तेग बहादुर का जीवन

गुरु तेग बहादुर जी सिखों के छटे गुरु श्री हरगोविन्द सिंह के पांचवें पुत्र थे। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। सिखों के आठवें गुरु ‘हरिकृष्ण राय’ जी की अकाल मृत्यु के बाद सर्वसम्मति से गुरु तेगबहादुर को 9वां गुरु बनाया गया था। गुरु तेग बहादुर का बचपन का नाम त्यागमल था। 14 वर्ष की छोटी सी आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अदम्य साहस व शौर्य का परिचय दिया था, जिससे प्रभावित होकर गुरु गोविंद जी ने उनका नाम त्यागमल से बदलकर तेग बहादुर रख दिया, जिसका अर्थ होता है तलवार के धनी।

धैर्य, वैराग्य और त्याग के प्रतीक गुरु तेग बहादुर जी ने लगातार 20 वर्ष तक ‘बाबा बकाला’ नामक स्थान पर एकांत में साधना की। उन्होंने आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक विकास क्षेत्र में अनेकों कार्य किये। गुरु तेग बहादुर जी ने रूढ़ियों व अंधविश्वासों की आलोचनाएं की। उन्होंने लोक सेवा के लिए कई कुएं और धर्मशालाओं का निर्माण कराया।


गुरु तेग बहादुर से जुड़े किस्से

औरंगजेब अपने दरबार में हर रोज श्रीमद भगवत गीता के श्लोक और अर्थ सुनता था। इसके लिए उसने दरबार में एक विद्वान पंडित की नियुक्ति कर रखी थी। पंडित रोज़ भगवत गीता के श्लोक पढ़ता और उसका अर्थ समझाता, पर वह पंडित भगवत गीता में से कुछ श्लोक छोड़ दिया करता था। एक दिन पंडित बीमार हो गया। ऐसे में पंडित ने अपने बेटे को औरंगजेब के दरबार भेजा, लेकिन वह बेटे को यह बताना भूल गया कि औरंगज़ेब को किन श्लोकों का अर्थ बताना है और किन का नहीं। 

पंडित के बेटे ने जाकर औरंगजेब को पूरी भगवत गीता का अर्थ सुना दिया। श्रीमद भगवत गीता का अर्थ सुनकर औरंगजेब को यह ज्ञान हो गया कि प्रत्येक धर्म अपने आप में महान है। किन्तु औरंगजेब की हठधर्मिता थी कि उसे अपने धर्म के धर्म के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म की प्रशंसा सहन नहीं थी।


कट्टरपंथी औरंगजेब ने सबको इस्लाम धर्म कबूल करने के निर्देश देते हुए कहा कि “सबसे कह दो या तो इस्लाम धर्म कबूल करें या मौत को गले लगा लें।” 

ऐसे में औरंगजेब के अत्याचारों से परेशान कश्मीर के हिन्दुओं ने गुरु तेगबहादुर से धर्म की रक्षा की गुहार लगाई।

कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा को देखते हुए गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि “आप जाकर औरंगजेब से कह ‍दें कि यदि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया तो उनके बाद हम भी इस्लाम धर्म ग्रहण कर लेंगे और यदि आप गुरु तेग बहादुर जी से इस्लाम धारण नहीं करवा पाए तो हम भी इस्लाम धर्म धारण नहीं करेंगे।“ औरंगजेब ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया।

इसके बाद गुरु तेगबहादुर स्वयं औरंगजेब के दरबार पहुंच गए। औरंगजेब ने उन्हें बहुत से लालच और प्रलोभन दिया। पर गुरु तेगबहादुर जी नहीं माने तो उन पर ज़ुल्म किए गये। उन्हें कैद कर लिया गया और दो शिष्यों को मारकर गुरु तेगबहादुर जी को ड़राने की कोशिश की गयी। पर वे नहीं माने।


गुरु तेग बहादुर से औरंगजेब से कहा कि ‘यदि तुम ज़बरदस्ती लोगों से इस्लाम धर्म ग्रहण करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं हो क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए।’


यह सुनकर आगबबूला हुए औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर जी का शीश काटने का हुक्म ज़ारी कर दिया। गुरु तेग बहादुर जी ने हंसते-हंसते बलिदान दे दिया। गुरु तेग बहादुर जी की याद में उनके ‘शहीदी स्थल’ पर गुरुद्वारा बना है, जिसको सभी आज ‘शीश गंज साहिब’ गुरुद्वारे के नाम से जानते हैं।

Wednesday, August 11, 2021


विदेशी बैंको से निकले देसी पैसा

प्रदीप उपाध्याय। देश के पास पैसा नहीं है क्योंकि हमारे देश का सारा पैसा तो विदेशी बैंको में जमा है। हमारे माननीय मंत्री जी कह रहे है कि हमारे पास चीन के मुकाबले ज्यादा पैसे हैं। मंत्री जी क्या आप ये भी बताने का कष्ट करेंगे कि ये स्थिति क्यों आई है। आप तो इसके लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था को जिम्मेदार कहेंगे। लेकिन इसकी असली वजह तो ये है कि हमारे नेताओं में भ्रष्ट्राचार करने की होड़ लगी हुई है। इसके चलते हर नेता भ्रष्ट्राचार करने में अपने को आगे रखने की कोशिशों में लगा है। नेता जी के इस नए शौक के चलते देश का सारा पैसा तो उनकी तिजोरी जो विदेशों में है में रखा है। यदि आप मेरी बात से सहमत नहीं है तो आप देश को बताए कि राष्ट्रमंडल खेलों में देश की प्रतिष्ठा को ताक पर रख कर धांधली करने वाले सुरेश कलमाड़ी और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपी ए राजा को संसद में दोबारा जगह कैसे मिली। चलिए जगह तक तो ठीक है पर हमारी सरकार उन व्यक्तिों को संसदीय स्थायी समितियों का सदस्य बना कर क्या कराने की सोच रही है।
        यदि आप देश में पैसा की कमी पूरा करना ही चाहते है तो सोचने की जरूरत नहीं है। आप को सिर्फ इतना करना है कि जितने भी भ्रष्ट्रचार के दोषी है उनसे पूरे पैसे की वसूली की जाए, और यदि ऐसा नहीं किया जा सकता तो उस व्सक्ति पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए व उसकी सारी संपति जप्त की जानी चाहिए। अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि देश में भ्रष्ट्राचार का आरोप तो कभी साबित होता ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में देश की अदालतों को ज्यादा शक्ति देने की जरूरत है। साथ ही हमारी जांच एजेंसियों को सरकार के नियंत्रण से दूर रखा जाना चाहिए।

लेकिन हम सब जानते है कि हमारे देश में ऐसा केवल सोचा जा सकता है। उसे व्यवहार में नहीं जाया जा सकता। ये हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।

Tuesday, October 27, 2020

निकिता बनी लव जिहाद की नई शिकार

 

राजधानी दिल्ली के करीब फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में कॉलेज से पेपर देकर निकली निकिता तोमर नाम की छात्रा के अपहरण की कोशिश। और अपहरण में नाकाम रहने पर छात्रा की सरेआम गोली मार की हत्या कर देना एक शर्मनाक घटना है। यह घटना कोई प्रेम प्रसंग में नाकाम रहने पर हुई है ऐसा नहीं है। घटना के पीछे पुलिस व समाज की लापरवाही और तेजी से बढती लव जिहाद की मानसिकता की एक बड़ी कहानी है। तौसीफ़ नाम का यह लड़का छात्रा को दो-तीन सालों से परेशान कर रहा था। तौसीफ़ निकिता को लव ज़िहाद के जाल में फंसाना चाहता था, लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रहा। तब उसने छात्रा को परेशान करना शुरू कर दिया। परिवार ने बताया कि तौसीफ़ निकिता पर इस्लाम कवूल कर निकाह का दवाब बना रहा था। इसकी शिकायत निकिता और उसके परिवार ने 2018 में पुलिस से भी की, लेकिन पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों में राजीनामा कराकर घर भेज दिया। पुलिस की इस कड़ी कार्रवाई से तौसीफ़ इतना डर गया कि उसने शिद्दत के साथ निकिता को परेशान करना शुरू कर दिया। इसके लिये परिवार ने पंचायत समेत हर सामाजिक व्यवस्था से मदद मांगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इससे तौसीफ़ के हौसले और बढ़ते चले गये। तौसीफ़ ने निकिता को अगवा कर उसका धर्म परिवर्तन कर निकाह की साज़िश रची। उसने इस साज़िश को अंजाम देने के लिये अपने एक दोस्त को नूंह से बुलाया। दोनों ने निकिता के पेपरों के बारे में पूरी जानकारी निकाली और उसके कॉलेज के बाहर उसकी ताक में खड़े हो गये। जैसे ही निकिता कॉलेज से निकली तो तौसीफ़ उसे गाड़ी में बैठाने की कोशिश करता है, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाता तो वो अपनी जेव से तमंचा निकालता है और छात्रा के सिर में गोली मार देता है।

  ये हत्या लव जिहादियों का उन कथित सेकुलरिज्म के कीड़ों के मुंह पर तमाचा है, जो लव जिहाद के जैसे किसी शब्द को नहीं मानते या यूं कहें कि वो मानना नहीं चाहते। क्योकि ये उनकी राजनीति के लिए सुविधाजनक नहीं है।

     हरियाणा सरकार को उन पुलिसकर्मियों पर भी हत्या का केस दर्ज करना चाहिए जिन्होंने 2018 में FIR होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की थी।

Wednesday, August 23, 2017

सेल्फी-मेनिया : समाज का एक अंधेरा पक्ष


प्नदीप उपाध्याय। नई तकनीकों ने मनुष्य के जीवन में एक क्रांति ला दी है। यह तकनीक चाहे कृषि के क्षेत्र की हो या अंतरिक्ष विज्ञान या फिर अन्य किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हुई, सबने मनुष्य के जीवन स्तर और ज्ञान स्तर को फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचा दिया है। ऐसी ही एक तकनीक है का नाम है स्मार्टफोन। पहले व्यक्ति को ज्ञान हेतु किताबों और अखबारों को पढ़ना पढता था, लेकिन अब स्मार्टफोन के प्रचलन में आने के बाद मनुष्य इंटरनेट के इस्तेमाल से अपने फोन से ही दुनिया के बारे में सारी जानकारी ले लेता है। इसके लिये उसे लाइब्रेरी या किसी कैफे में जाने की अवश्यकता नहीं पड़ती। स्मार्टफोन की वजह से लोगों के रहन-सहन और व्यवहार में भी भारी बदलाव आता जा रहा है। स्मार्टफोन के प्रचलन से पहले जहाँ लोग सामाजिक जीवन में काफी सक्रिय रहते थे, वहीं अब सामाजिकता सिर्फ स्मार्टफोन तक सिमट कर रह गई है। फेसबुक, ट्वीटर और इंस्ट्राग्राम जैसी सोशल साईटों ने लोगों को रियल लाइफ से इत्तर वर्चुअल लाइफ से परिचय कराया। इन साइटों के आने के बाद जो लोग करीबियों और समाज के लोगों समय बिताते थे, वे अब तरह-तरह की सेल्फीज़ लेने में व्यस्त रहने लगे है। आज हम देखते हैं कि सोशल मीडिया में किसी का प्रोफाइल पेज हो या फिर किसी के द्वारा किये गये पोस्ट्स हर जगह बड़ी मात्रा में तरह-तरह की सेल्फीज़ नजर आ जायेंगी। आज हालत ये है कि सेल्फीज़ लेना एक आदत की जगह बिमारी का रुप लेती जा रही है। इसे ही सेल्फी-मेनिया कहा जाता है।

सेल्फी अधुनिक संस्कृति का एक अहम हिस्सा

साधी शब्दों में कहा जाये तो सेल्फी-मेनिया अधुनिक संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन गयी है। आज के समय में मनुष्य कोई भी अवसर हो कुछ करना भूलें न भूलें लेकिन सेल्फी लेना नहीं भूलते। इस सेल्फी मेनिया से युवा ही नहीं बच्चें और बुढ़े भी प्रभावित हैं। सेल्फी-मेनिया को समझा जाये तो ये समाज के उस अँधेरे पक्ष का एक लक्षण है जहाँ लोग सेल्फीज़ सिर्फ इसलिए खींचते एवं  पोस्ट करते हैं, ताकि उन्हें उनकी पोस्ट पर लाइक व कमेंट मिले और वर्चुअल लाइफ में ही सही आनंद का अनुभव होता है। इन लाइक और कमेंट्स का उसके जीवन के रियल लाइफ से कोई सरोकार ही नहीं होता। दरअसल, सेल्फी मेनिया में व्यक्ति सोशल साइटों पर सेल्फी सिर्फ इसलिये पोस्ट करता है, ताकि वह अन्य से अपने आप को बेहतर साबित कर सके। साफ शब्दों में कहें तो सेल्फी लेकर पोस्ट करना एक सोशल कंपटीशन बन गया है।

सेल्फी मेनिया मौत का सबब

सेल्फी लेकर पोस्ट करने के इस सोशल कंपटीशन में कई बार मौत तक हो जाती है। अपनी सेल्फी को दूसरों से अलग और बेहतर दिखाने की होड़ में कभी इंसान इतना अंधा हो जाता है कि वह ऊंची इमारतों, तेज रफ्तार ट्रेनों तो कभी अन्य खतरनाक स्टंट करने से भी नहीं चूकते। इंसान का यह बर्ताव ही उसे मौत की कगार तक पहुंचा देता है। सेल्फी मेनिया अब तक सैकड़ों की जिंदगी को लील चुका है। वैश्विक स्तर पर देखे तो सेल्फी मेनिया की वजह से हुई मौतों के मामले में भारत पहले पायदान पर है।
भारत-अमेरिका के शोधकर्ताओं की मार्च 2014 से सितंबर 2016 के बीच आई संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया गया कि सेल्फी के चक्कर में भारत में सर्वाधिक 76 लोगों की मौत हुई, जबकि पाकिस्तान दूसरे एवं अमेरिका तीसरे पायदान पर रहा। 20 देशों में किया गया यह शोध में अमेरिका की कार्नेजी मेलॉन यूनिवर्सिटीदिल्ली की इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और तिरुचिरापल्ली की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संयुक्त रुप से की।

सेल्फी मेनिया से बच्चों को बचाये

सेल्फी मेनिया बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। अधुनिक समय की भाग दौड़ में माता पिता को अपने बच्चे को समय के साथ चलने देने की सलाह तो देनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही उन्हें अपने बच्चों को रियल और वर्चुअल लाइफ के बीच अतंर से भी अवगत कराना चाहिए, ताकि सेल्फी का शौक सेल्फी मेनिया में ना बदल जाए।

Saturday, May 25, 2013

चीन और भारत


चीन ने भारत के 19 किलोमीटर अंदर आकर बंकर बना लिये और भारत सरकार को खुब छका कर अपने आप वापस चले गए। यह घटना कोई अचानक होने वाली घटना नहीं है बल्कि चीन ने इसकी योजना पहले से बना रखी थी। यकिन नहीं तो आप जरा पिछले दिनों चीन के द्वारा अलग-अलग देशों के भू-भाग पर अपना दावों पर गौर किजिए। द्वीपों को लेकर जापान के साथ या फिर दक्षिणी सागर में अपना दावा चीन हर जगह अपना दावा पेश कर देता है। भारत को छोड़कर सभी देश चीन के दावो को जोरदार रूप से खंडि़त कर देते है। भारत की विदेश नीति में 1962 की हार का डर आज भी महसूस किया जा सकता है। यही वजह है कि देश की विदेशनीति में दब्बूपन आ गया है।
   आगे बढ़ते है चीन ने पडोसी देशों के साथ बढ़ रहे समुद्री तनाव के मद्देनजर अपना सैन्य तैयारियां शुरू कर दी है। पिछले दिनों चीन के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने सशस्त्र बलों से लड़ाई की तैयारी मजबूत करने और युद्ध में जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
   सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष फान चांगलोंग ने जिंगासूए फजियान और झेजियांग प्रांतों में सैनिकों से मुलाकात में ये बाते कही।
    आयोग 23 लाख सैनिकों वाली सेना पर नियंत्रण रखने वाला शीर्ष सैन्य निकाय है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रपति शी चिनफिंग हैं।
    फान ने कहा कि सेना को जीत सुनिश्चित करने के लिए हमेशा ही तैयार रहना चाहिए एवं तीक्ष्ण मारक क्षमता कायम रखनी चाहिए।
    उन्होंने कहा सैन्य अधिकारियों एवं सैनिकों को सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के प्रति निष्ठावान एवं भरोसेमंद रहना चाहिए तथा उसके निर्देशों का पालन करना चाहिए।

Wednesday, May 22, 2013

चीन पर लगाम लगाने का वक्त


चीन ने भारतीय क्षेत्र के 19 किलोमीटर के अंदर आकर बंकर बनाएं और भारत को खुब छकाने के बाद अपनी मर्जी से वापस लौट गए। इसके बाद भारत सरकार ने पूरे मामले को हल किए जाने के लिए खुद की तारिफ की। शायद ये सोचकर कि लोग तो पागल है इन्हे कुछ दिखाई नहीं देता। इसके कुछ दिनों बाद चीन के प्रधानमंत्री भारत आते है और दोनो देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने की बात करते हैं।

इस पूरे मामले यह सिख मिलती है कि हम आज इतने कायर हो गए है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए हम दुसरों की महरबानी की जरूरत है। हमारी सरकार इतनी कायर है कि वह कुछ भी करने से डरती है। मैं अपनी देश की जनता से पूछना चाहता हुं कि क्या भारतीय सेना और भारतीय जन मानस में कायरता भरी हुई है। अरे हमारा देश तो वीरों और वीरागंनाओं की जन्म भुमि है। यहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और चिन्नमा जैसी बहादूर बेटी हुई है और आज हम अपने पूर्वजों के सम्मान को धुल में मिला रहे हैं। आज भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है। लेकिन जब हम अपने लिए कोई फैसला नहीं कर सकते तो ऐसी स्थिति में किसी ओर के लिए हम कैसे उचित फैसला कर सकते है।

अरूणाचल और कई उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को चीन अपना क्षेत्र बताता है। वहीं भारत तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे को भी जायज बताता है। दोनो देशो में अंतर कितना है ये इस बात से ही लगाया जा सकता हैं। अब एक प्रश्न उठता है कि चीन भारतीय क्षेत्रों को अपना बतात है तो क्या हमारी सरकार में इतना दम नहीं कि वह चीन को ये बता सके कि तिब्बत उसका हिस्सा नहीं है।

Sunday, April 14, 2013

पाकिस्तानी मुसलमानों से प्रेम और हिंदुओ से बैर !

प्रदीप उपाध्याय
pradeep upadhyay     पाकिस्तान में हिन्दुओ की जो दुर्दशा है उससे पूरा देश ही नहीं पूरा संसार आज भलीभांति परिचित है लेकिन उसके बाद भी भारत सरकार की तरफ से कोई सख्त कदम न उठाया जाना एक दुर्भाग्य का विषय है। लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य तो ये है की इसपर मनावाधिकारो की बाते करने वाले मौन है।
   पाकिस्तान से आये 480 हि
न्दु जो की कुम्भ स्नान के लिए आये थे उन्होंने अपनी दुर्दशा मीडिया और अन्य लोगो के सामने जाहिर की। उनका कहना था कि देश विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार हो रहा है और आये दिन न केवल उन पर जुल्म व हमले होते हैं बल्कि उनकी आंखों के सामने ही उनकी बहू बेटियों की इज्जत लूट ली जाती है। उन्होंने बताया कि बेटियों की इज्जत बचाने  के लिए वह
10 से 12 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादियां कर देते हैं। यहा तक की हिन्दु औरतों को सिंदूर और बिंदी लगाने की भी इजाजत नहीं है। त्यौहार और पर्व तो वे क्या मनाएंगे।
   पकिस्तान में हिन्दुओ पर निर्मम अत्याचार हो रहे है। उनकी चीख पुकार उनके आसू और आहे सुनने वाला कोई नहीं है। क्या आप को पता है कि पाकिस्तान से आने वाले हिंदू परिवारों को रोकने के लिए हमारी सरकार ने एक शर्मनाक कदम उठाया है। सरकार का कहना है कि पाकिस्तानी हिंदूओं के पूरे परिवार को एक साथ वीजा नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन ये शर्ते पास्तिान से आने वाले मुसलमानों पर लागू नहीं होगी। अब ऐसी स्थिती में जब आप के घर पर कोई शरण मांगने आया है तो क्या आप उसे भगा देते हैं। ये भारतीय संस्कार हैं। पाकिस्तान भारत विभाजन का परिणाम था जिसे कोई भी नहीं नकार सकता। कुछ स्वार्थी लोगों ने अपने हितों को पूरा करने के लिए देश के तीन टुकड़े कर दिए। मैं किसी भी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं ले रहा हुं क्योंकि बताया उन्हें जाता है जिन्हें कुछ पता नहीं हो। परन्तु आप लोग समझदार है। अब आप ये भी पूछेंगे कि तीन टुकड़े कैसे तो आप को याद होगा 1947 में पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान नाम के दो भू-खंड़ हिन्दूस्तान से अलग किए गए थे। पूर्वी पाकिस्तान 1971 में बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र बना।
   दोस्तों मैं आप को ये सब इसलिए नहीं बता रहा हुं कि मैं अपने देश का इतिहास जानता हुं। मैं सिंर्फ आप का ध्यान केवल इस ओर दिलाना चाहता हुं कि क्या हमारी सरकार ने अवैध तौर से देश में रह रहे बांग्लादेशियों के लिए कोई नीति बनाई है या उन्हें रोकने के लिए कोई भी ठोस कार्यवाही की। हमारे देश में बांग्लादेशी लोगों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि वे कई राज्यों को प्रभावित करने लगे हैं। इसका उदाहरण हमें असम में पिछले दिनों हुई हिंसा से हमें देखने को मिला है। वहां पर बांग्लादेशियों ने असम के लोगों को एक छोटे से हिस्से तक सीमित कर दिया है। हमारी सरकार सब जानते हुए भी वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में देश को डुबोने में लगी है।