Wednesday, May 22, 2013

चीन पर लगाम लगाने का वक्त


चीन ने भारतीय क्षेत्र के 19 किलोमीटर के अंदर आकर बंकर बनाएं और भारत को खुब छकाने के बाद अपनी मर्जी से वापस लौट गए। इसके बाद भारत सरकार ने पूरे मामले को हल किए जाने के लिए खुद की तारिफ की। शायद ये सोचकर कि लोग तो पागल है इन्हे कुछ दिखाई नहीं देता। इसके कुछ दिनों बाद चीन के प्रधानमंत्री भारत आते है और दोनो देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने की बात करते हैं।

इस पूरे मामले यह सिख मिलती है कि हम आज इतने कायर हो गए है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए हम दुसरों की महरबानी की जरूरत है। हमारी सरकार इतनी कायर है कि वह कुछ भी करने से डरती है। मैं अपनी देश की जनता से पूछना चाहता हुं कि क्या भारतीय सेना और भारतीय जन मानस में कायरता भरी हुई है। अरे हमारा देश तो वीरों और वीरागंनाओं की जन्म भुमि है। यहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और चिन्नमा जैसी बहादूर बेटी हुई है और आज हम अपने पूर्वजों के सम्मान को धुल में मिला रहे हैं। आज भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की मांग कर रहा है। लेकिन जब हम अपने लिए कोई फैसला नहीं कर सकते तो ऐसी स्थिति में किसी ओर के लिए हम कैसे उचित फैसला कर सकते है।

अरूणाचल और कई उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को चीन अपना क्षेत्र बताता है। वहीं भारत तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे को भी जायज बताता है। दोनो देशो में अंतर कितना है ये इस बात से ही लगाया जा सकता हैं। अब एक प्रश्न उठता है कि चीन भारतीय क्षेत्रों को अपना बतात है तो क्या हमारी सरकार में इतना दम नहीं कि वह चीन को ये बता सके कि तिब्बत उसका हिस्सा नहीं है।

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