Wednesday, August 23, 2017

सेल्फी-मेनिया : समाज का एक अंधेरा पक्ष


प्नदीप उपाध्याय। नई तकनीकों ने मनुष्य के जीवन में एक क्रांति ला दी है। यह तकनीक चाहे कृषि के क्षेत्र की हो या अंतरिक्ष विज्ञान या फिर अन्य किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हुई, सबने मनुष्य के जीवन स्तर और ज्ञान स्तर को फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचा दिया है। ऐसी ही एक तकनीक है का नाम है स्मार्टफोन। पहले व्यक्ति को ज्ञान हेतु किताबों और अखबारों को पढ़ना पढता था, लेकिन अब स्मार्टफोन के प्रचलन में आने के बाद मनुष्य इंटरनेट के इस्तेमाल से अपने फोन से ही दुनिया के बारे में सारी जानकारी ले लेता है। इसके लिये उसे लाइब्रेरी या किसी कैफे में जाने की अवश्यकता नहीं पड़ती। स्मार्टफोन की वजह से लोगों के रहन-सहन और व्यवहार में भी भारी बदलाव आता जा रहा है। स्मार्टफोन के प्रचलन से पहले जहाँ लोग सामाजिक जीवन में काफी सक्रिय रहते थे, वहीं अब सामाजिकता सिर्फ स्मार्टफोन तक सिमट कर रह गई है। फेसबुक, ट्वीटर और इंस्ट्राग्राम जैसी सोशल साईटों ने लोगों को रियल लाइफ से इत्तर वर्चुअल लाइफ से परिचय कराया। इन साइटों के आने के बाद जो लोग करीबियों और समाज के लोगों समय बिताते थे, वे अब तरह-तरह की सेल्फीज़ लेने में व्यस्त रहने लगे है। आज हम देखते हैं कि सोशल मीडिया में किसी का प्रोफाइल पेज हो या फिर किसी के द्वारा किये गये पोस्ट्स हर जगह बड़ी मात्रा में तरह-तरह की सेल्फीज़ नजर आ जायेंगी। आज हालत ये है कि सेल्फीज़ लेना एक आदत की जगह बिमारी का रुप लेती जा रही है। इसे ही सेल्फी-मेनिया कहा जाता है।

सेल्फी अधुनिक संस्कृति का एक अहम हिस्सा

साधी शब्दों में कहा जाये तो सेल्फी-मेनिया अधुनिक संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन गयी है। आज के समय में मनुष्य कोई भी अवसर हो कुछ करना भूलें न भूलें लेकिन सेल्फी लेना नहीं भूलते। इस सेल्फी मेनिया से युवा ही नहीं बच्चें और बुढ़े भी प्रभावित हैं। सेल्फी-मेनिया को समझा जाये तो ये समाज के उस अँधेरे पक्ष का एक लक्षण है जहाँ लोग सेल्फीज़ सिर्फ इसलिए खींचते एवं  पोस्ट करते हैं, ताकि उन्हें उनकी पोस्ट पर लाइक व कमेंट मिले और वर्चुअल लाइफ में ही सही आनंद का अनुभव होता है। इन लाइक और कमेंट्स का उसके जीवन के रियल लाइफ से कोई सरोकार ही नहीं होता। दरअसल, सेल्फी मेनिया में व्यक्ति सोशल साइटों पर सेल्फी सिर्फ इसलिये पोस्ट करता है, ताकि वह अन्य से अपने आप को बेहतर साबित कर सके। साफ शब्दों में कहें तो सेल्फी लेकर पोस्ट करना एक सोशल कंपटीशन बन गया है।

सेल्फी मेनिया मौत का सबब

सेल्फी लेकर पोस्ट करने के इस सोशल कंपटीशन में कई बार मौत तक हो जाती है। अपनी सेल्फी को दूसरों से अलग और बेहतर दिखाने की होड़ में कभी इंसान इतना अंधा हो जाता है कि वह ऊंची इमारतों, तेज रफ्तार ट्रेनों तो कभी अन्य खतरनाक स्टंट करने से भी नहीं चूकते। इंसान का यह बर्ताव ही उसे मौत की कगार तक पहुंचा देता है। सेल्फी मेनिया अब तक सैकड़ों की जिंदगी को लील चुका है। वैश्विक स्तर पर देखे तो सेल्फी मेनिया की वजह से हुई मौतों के मामले में भारत पहले पायदान पर है।
भारत-अमेरिका के शोधकर्ताओं की मार्च 2014 से सितंबर 2016 के बीच आई संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया गया कि सेल्फी के चक्कर में भारत में सर्वाधिक 76 लोगों की मौत हुई, जबकि पाकिस्तान दूसरे एवं अमेरिका तीसरे पायदान पर रहा। 20 देशों में किया गया यह शोध में अमेरिका की कार्नेजी मेलॉन यूनिवर्सिटीदिल्ली की इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और तिरुचिरापल्ली की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संयुक्त रुप से की।

सेल्फी मेनिया से बच्चों को बचाये

सेल्फी मेनिया बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। अधुनिक समय की भाग दौड़ में माता पिता को अपने बच्चे को समय के साथ चलने देने की सलाह तो देनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही उन्हें अपने बच्चों को रियल और वर्चुअल लाइफ के बीच अतंर से भी अवगत कराना चाहिए, ताकि सेल्फी का शौक सेल्फी मेनिया में ना बदल जाए।

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