Friday, September 2, 2011

ओछी हुई सरकार



प्रदीप उपाध्याय

अन्ना के आन्दोलन के बाद हुई अपनी किरकिरी को सरकार हजम नहीं कर पा रही है इसी के चलते सरकार ने अन्ना के आन्दोलन की रीड़ रहे लोगो को निशाना बनाना शुरू कर दिया है जिसकी शुरुआत अरविंद केजरीवाल और कवि कुमार विश्वास को आयकर का नोटिस भेज कर की है

सरकार के इशारे पर आयकर विभाग की ओर से अरविंद केजरीवाल पर नौकरी की शर्तें तोड़ने का आरोप लगते हुए 9 लाख रुपये जमा करने के लिए नोटिस भेजा गया है यह एक सोची समझी चल है जिस के जरिये सरकार अपने रास्ते के काटों को साफ करने की कोशिश कर रही है

सरकार के इस दाव पर बोलते हुए केजरीवाल ने कहा है कि उन्होंने नौकरी की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है। वो एक नवंबर 2000 से 31 अक्टूबर 2002 तक स्टडी लीव पर था। 1 नवंबर 2002 को नौकरी ज्वाइन कर ली थी और तीन साल बाद फरवरी 2006 में इस्तीफा दिया।

साथ ही उन्होंने आयकर विभाग के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि विभाग जीपीएफ से पैसे काटकर भरपाई कर लें और यदि जीपीएफ के पैसे से पूरी वसूली नहीं हो पाती तो बकाया राशि को सरकार माफ कर दे क्योंकि वें जनहित में काम कर रहे हैं।

मै आप को यह बताना चाहूँगा कि केजरीवाल दिल्ली मे भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) मे ज्वाइंट कमिश्नर पद पर थे। जिससे उन्होंने साल 2006 में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, केजरीवाल का इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया गया। सरकारी दस्तावेजों में वो आज भी आयकर विभाग के अधिकारी हैं।

वहीँ अन्ना ने कहा कि सरकार उनकी टीम के लोगों को फंसाने की कोशिश करेगी। अन्ना ने अरविंद से कहा कि हमें अपना काम करते रहना है।

आयकर विभाग के इस कदम के बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने विभाग से सवाल करते हुए पुचा है कि अन्ना के अनशन से पहले आईटी डीपार्टमेंट कहाँ था ? ऐसे समय में नोटिस क्यों भेजा गया। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

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