Wednesday, August 17, 2011

अन्ना में उलझी सरकार

प्रदीप उपाध्याय

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को दबाने की कोशिशों में लगी सरकार के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे गले की हड्डी बन गए है जिसे तो वे निगल सकती है और ही उगल सकती है

अन्ना को देश भर से मिल रहे समर्थन और उनके द्वारा तिहाड़ जेल से रिहा होने से इनकार किये जाने के बाद सरकार के सामने एक नयी मुसीबत खड़ी हो गयी है

अन्ना ने रिहाई से पहले सरकार के सामने एक शर्त रखी है कि वह बाहर आने पर जीपी पार्क में ही अनशन करेंगे

मंगलवार शाम को ही पुलिस ने हजारे की रिहाई के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन वह बिना गारंटी के बाहर आने के तैयार नहीं हैं. 74 वर्षीय अन्ना कड़े लोकपाल कानून की मांग के साथ मंगलवार से अनशन करने वाले थे लेकिन इससे पहले ही उन्हें 'एहतियातन' गिरफ्तार कर लिया गया.

अन्ना की गिरफ्तारी के बाद भारत के कई शहरों में प्रदर्शन हुए. रिहाई से उनके इनकार के बाद माहौल और तनावपूर्ण हो गया है. उनके सैकड़ों समर्थक रात भर तिहाड़ जेल के सामने नारेबाजी करते रहे, अन्ना के समर्थन में उतरे वकील, जबलपुर भी बंद.

1 comment:

संगीता पुरी said...
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