Tuesday, March 12, 2013

हमारी चौकस खुफियां संस्थाएं

प्रदीप उपाध्याय
आज हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियां में सर्तकता और चैकसी की एहमियत शायद कही खो गई है। यही कारण है कि हमारे देश में आतंकी कभी भी और कही भी अपनी ना पाक साजिशों को अंजाम दे रहे हैं। देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद पर हमले, दिल्ली का मस्तक बोले जाने वाले लाल किले और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले की कोई भी पूर्व सूचना नहीं होना हमारी खुफियां एजेंसियों की चैकसी की कहानी कह रहा है। ये शायद काफी नहीं था कि हर साल हैदराबाद में होने वाले ब्लास्टों को भी हमारी एजेंसियां रोक पाने में नाकाम रही है। इस नाकामी का श्रेय केवल इस संस्थाओं ही नहीं बल्कि हमारे देश के कर्णधार नेताओं को भी जाता है। दरअसल हमारी रा् जैसी संस्था भी देश की राजनीति में बुरी तरह फंस गई है कि उसे ये ही नहीं पता चलता की हमारे देश पर कोई आतंकी हमला होने वाला है और उसे कैसे नाकाम किया जा सकता है। यही नहीं रा को कारगिल युद्ध के समय में तत्कालिक पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेश मुर्शरफ द्वारा एलओसी पार कर 10 किलोमीटर तक भारतीय क्षेत्र में की गई चहल कदमी के बारे में आज तक पता नहीं चल पाया था। यदि हम पाकिस्तानी खुफियां एजेंसी की बात करे तो देखेंगें कि वो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुछ भी करती है।

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