Tuesday, August 17, 2010

साइबर आतंक फैला रही है पाकिस्तानी आर्मी


प्रदीप उपाध्याय

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तानी साइबर आर्मी ने मशहूर उद्योगपति एवं राज्‍यसभा सदस्‍य विजय माल्‍या की आधिकारिक बेवसाइट को हैक कर भारतीय साइबर वर्ल्‍ड को कड़ी चुनौती दी है। इसके लिए उसने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर बाकायदा अपना अकाउंट खोला है।

15 अगस्त को हुए इस साइबर हमले में हैकरों ने माल्‍या की वेबसाइट हैक कर उस पर पाकिस्‍तानी झंडा लहराते हुए ‘खतरे का चिन्ह’ बनाया था और लिखा था 'फील द पाकिस्तान', ‘हम सो रहे हैं; मरे नहीं हैं।

इस दौरान पाकिस्तानी साइबर आर्मी ने भारतीय हैकर्स पर भी आरोप लगाया है कि वह लंबे समय से उसकी साइबर कम्‍युनिटी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उसने कहा कि हमने भारत से बदला लेने के लिए इस कार्य को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 से पाकिस्‍तान साइबर आर्मी ने ओएनजीसी समेत कई भारतीय वेबसाइटें हैक की हैं। भारत में कम्‍प्‍यूटर सुरक्षा पर नजर रखने वाले सरकारी संगठन कम्‍प्‍यूटर इमरजेंसी रिस्‍पॉन्‍स टीम का कहना है कि इस साल जनवरी से जून तक 4300 से अधिक भारतीय वेबसाइटें हैकर्स का शिकार हुई हैं।

इस कार्य में पाकिस्‍तान हैकर्स क्‍लब, जी फोर्स और पाकिस्‍तान साइबर आर्मी जैसे बड़े हैकर्स ग्रुप लगे हुए हैं। पाकिस्‍तान में हैकर्स ग्रुप को आईएसआई और सरकार का पूरा समर्थन हासिल है, जबकि भारत में ऐसा कुछ नहीं है। भारत में हैकिंग कानूनन अपराध है और इसमें कोई ढील नहीं दी जाती। देश के आईटी एक्‍ट के तहत हैकिंग के दोषी को तीन साल तक की कैद या 2 लाख रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

हालांकि, पाकिस्‍तानी साइबर आर्मी से बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने भी इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार इसके लिए खास आईटी इंफ्रास्ट्रक्‍चर और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की टीम तैयार कर रही है। ये विशेषज्ञ दुश्‍मन देशों के कम्प्‍यूटरों की सुरक्षा में सेंध लगा कर जरूरी डेटा पर निगरानी रख सकेंगे।

हैकर्स से निपटने की रणनीति के तहत इस प्रस्‍ताव को उच्‍चस्‍तरीय बैठक में मंजूरी दी जा चुकी है। इससे संबंधित बैठक की अध्‍यक्षता राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने की थी और इसमें कई विभागों के बड़े अधिकारी शामिल हुए थे।

भारत सरकार ‘साइबर वार’ के खिलाफ लड़ाई में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) और डिफेंस इं‍टे‍लीजेंस एजेंसी (डीआईए) को भी शामिल करना चाहती है।

ध्यातव्य है कि एनटीआरओ तकनीक से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाती है, जबकि डीआईए सेना से संबंधित खुफिया तथा अन्‍य जानकारी एकत्रित करती है।

इधर, साइबर कानून के विशेषज्ञों की माने तो यह कानून तभी लागू होता है, अगर हैकिंग विदेश में किसी कंप्‍यूटर के जरिए की गई हो। उनका मानना है कि देशहित के लिहाज से आईटी कानून में संशोधन की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि चीन और पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ ‘साइबर वार’ में काफी सक्रिय हैं। पाकिस्‍तानी हैकर्स रोज करीब 60 हजार वेबसाइटों को निशाना बनाते हैं। चीन ने बाकायदा चेंगडू में अपनी ‘साइबर आर्मी’ का मुख्‍यालय तक बना रखा है। पिछले दिनों चीन द्वारा भारतीय रक्षा विभाग के कंप्‍यूटर हैक करने की खबरें भी आई थीं। हालांकि चीन ने इससे इन्कार किया था। चीन पर पिछले साल भारतीय विदेश मंत्रालय के 600 कंप्‍यूटर हैक करने का आरोप लगा था।

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