Monday, September 20, 2010

जम्मू-कश्मीर राग और हमदर्दी का पाकिस्तान सुर


प्रदीप उपाध्याय

खुद को कश्मीरी जनता का हमदर्द बताकर इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा के तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने का दम भरने वाला पाकिस्तान शायद यह भुल गया है कि कश्मीर का कुछ हिस्सा उसके पास भी है। जिसे संभाल पाने में वह पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है, जहां लोग आजादी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पीओके की जनता को मूलभूत जरूरतें मुहैया कराने में नाकाम रही पाकिस्तान सरकार क्या कश्मीरी जनता का ख्याल रख पाएगी।

दरअसल, पीओके में जारी विद्रोह पाकिस्तान सरकार की गले की हड्डी बना हुआ है, जिसके दमन में वह कोई कसर नहीं छोडना चाहती है। साथ ही वह इसे विश्व समुदाय की नजरों से भी बचाकर रखना चाहता है।

पीओके में पत्रकारों को जाने की अनुमति मिले तो मालूम चलेगा कि किस तरह यहां लोकतांत्रिक हितों और क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए चल रहे स्थानीय आंदोलनों का गला घोंटा जा रहा है। जिसकी वजह से वहां के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं।

पीओके का गिलगिट और बालटिस्तान इलाका सेना के शासन में है। इस इलाके के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता यहां विधायिका और दूसरे लोकतांत्रिक संस्थानों की मांग कर रहे हैं। राज्य के संविधान के तहत मौजूद 56 मामलों में सिर्फ चार में ही यहां चुने हुए नेता अपने फैसले ले सकते हैं। बाकी मामलों पर कश्मीर काउंसिल ही निर्णय ले सकती है जो पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा बनाई जाती है।

गिलगिट-बालटिस्तान का इलाका चीन, अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के लिए अहम है। इसलिए इन देशों को साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह क्षेत्र नया 'तिब्बत' न बन जाए।

वहीं, पीओके पर अपनी पकड़ कमजोर होती देख पाकिस्तान ने इसका नियंत्रण चीन को सौंप दिया है। गिलगिट-बालटिस्तान इलाका रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है जिस पर चीन की हमेशा से निगाह थी।

चीन ने भी गिलगिट-बालटिस्तान इलाके में अपने करीब 11 हजार जवान तैनात किए है। इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ ही चीन खाड़ी के देशों तक बेरोकटोक सड़क और रेल सम्पर्क बनाने की तैयारी में है।

दरअसल, चीन के तेल टैंकरों को खाड़ी के देशों तक पहुंचने में 16 से 25 दिनों का समय लगता है। लेकिन खाड़ी के देशों से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ने ते बाद महज 48 घंटों में खाड़ी में मौजूद पाकिस्तानी नौसेना के बेस जैसे-ग्वादर, पसनी और ओरमारा तक साजो-समान पहुंचाएगा।

इसके लिए चीन के सैनिकों ने गिलगिट-बालटिस्तान में रेल ट्रैक का निर्माण और कराकोरम हाई-वे के विस्तार कार्य शुरू कर दिया है। यह हाई-वे चीन के सिन्कियांग सूबे को पाकिस्तान से जोड़ता है।

हालांकि चीन ने शुरूवात में इन खबरों से मुखरता रहा है। लेकिन पीओके में उसकी मौजूदगी की खबरों की जांच के संबंध में भारत के कड़े रूख को देखते हुए चीन ने सफाई देते हुए कहा कि चीनी सैनिक पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए वहां तैनात है।

अमेरिका के दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हैरिसन ने दावा किया है कि चीन ने इस इलाके में 22 सुरंगें भी बनवाई है, जिसे लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। उनके मुताबिक पाकिस्तान के नागरिकों को भी इन सुरंगों के आस-पास जाने की मनाही है।

अगर खबरों पर यकीन किया जाए तो इन सुरंगों का इस्तेमाल गैस पाइपलाइन के अलावा मिसाइलों को छुपाने के लिए भी किया जाएगा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीओके पर पाकिस्तान का नियंत्रण है या चीन का।

1 comment:

संगीता पुरी said...

हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!pertaxal